किसान सुबोध का कहना है, कि वह काफी वर्षों से खेती-किसानी कर रहे हैं। परंतु, खीरे की खेती के संदर्भ में उनके एक दोस्त ने जानकारी दी, जो कि बिहार के कृषि विभाग में नौकरी करते हैं। उनकी सलाह के पश्चात उन्होंने इसकी खेती की शुरुआत करी है। सुबोध अपने खीरे की खेती के लिए केवल जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिस कारण उनके खीरे की मांग बाजार में काफी ज्यादा रहती है।
सुबोध से अन्य किसान भी तकनीकी गुर सीख रहे हैं
सुबोध का कहना है, कि उनकी खीरे की खेती की सफलता को ध्यान में रखते हुए उनके आस पास के साथी किसान भी बेहद प्रभावित हुए हैं। साथ ही, उन्होंने भी खीरे और औषधीय पौधे की खेती शुरु कर दी है। सुबोध ने बताया है, कि वह समय-समय पर अपने जनपद के कृषि वैज्ञानिकों से खेती से जुड़ी जानकारी से जुड़ी सलाह लेते हैं। वह बताते हैं, कि नेट हाउस में सब्जी की खेती करने से उनको काफी अच्छा उत्पादन हांसिल हुआ है। देखा देखी उनकी राह पर अन्य युवा किसान भी चलने लगे हैं।
खीरे की फसल की खेती ज्यादातर गर्मी और बरसात के मौसम में ज्यादा की जाती है. गर्मी और बरसात के अलावा अगर किसान चाहे तो ग्रीनहाउस या फिर नेट हाउस की मदद से नहीं किसी भी सीजन में कर सकते हैं.
क्या है खीरे के पौधों की नर्सरी तैयार करने की विधि?
अगर किसान वातावरण और मौसम से अलग परिस्थितियों में खीरे की खेती करना चाहते हैं तो वह खीरे की पौध तैयार कर सकते हैं या फिर नर्सरी से भी खीरे के पौधे खरीदे जा सकते हैं. ज्यादातर ऐसा उन मामलों में किया जाता है जब किसान मौसम के विपरीत इस फसल की खेती करना चाहते हैं या फिर खेत में ज्यादा तापमान होने के कारण सीधे तौर पर इसकी बुआई नहीं कर पा रहे हैं। नर्सरी से तैयार पौधों में एक खासियत यह होती है कि उन्हें किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है और साथ ही पॉलीहाउस नेट हाउस के लिए भी यह है पौधे अनुकूल रहते हैं।
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खीरे के पौधों की नर्सरी तैयार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
खीरे की नर्सरी तैयार करते समय किसान को बीजों का उच्च गुणवत्ता वाला चयन करना चाहिए। इसके बाद पौधों को ट्री-प्लेट या छोटे पॉलीबैग में लगाया जा सकता है। मिट्टी के लिए अच्छी मिट्टी का चयन करें और उर्वरक डालकर पॉलीबैग में भरें। बीजों को बैग में एक से 2 सेमी गहराई में लगाएं और पौधों में पानी दें। हल्की धूप और छाया वाले स्थान पर पौधे रखें और समय-समय पर देखभाल करें। नर्सरी में पौधा 12 से 16 दिन का होने पर उसे खेत में स्थापित कर दें।
खीरे की नर्सरी तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
मिट्टी की तैयारी: खीरे की नर्सरी तैयार करते समय, मिट्टी को उत्तम ढंग से तैयार करना बहुत जरूरी है। खीरे को उगाने के लिए, नर्सरी में संभवतः लोम युक्त और निर्मल मिट्टी का उपयोग करना अच्छा होता है। मिट्टी को उचित संचार और निराई वाले जगह से चुनना चाहिए।
सीडलिंग की उपलब्धता: खीरे की नर्सरी में सीडलिंग की उपलब्धता का भी ध्यान रखना चाहिए। सीडलिंग के लिए उचित विकल्प चुनना बहुत जरूरी होता है। सीडलिंग की गुणवत्ता उच्च होनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छी तरह से उगाया जा सके।
समय: खीरे की नर्सरी तैयार करने के लिए उचित समय चुनना बहुत जरूरी है। समय के अनुसार सीडलिंग के लिए उपलब्धता विभिन्न होती है। जैसे गर्मियों में खीरे की नर्सरी तैयार करना अधिक संभव होता है
खीरे की उन्नत किस्में ?
आजकल बाजार में हाइब्रिड खीरे भी आ रहे हैं और जब आप खीरे के किस्म के बारे में देखते हैं तो बाजार में बढ़-चढ़कर अलग-अलग वैरायटी आ रही हैं। आजकल हाइब्रिड खीरा काफी ज्यादा लोगों द्वारा पसंद किया जाता है और साथ ही किसान भी इसे उगा कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।
इसके अलावा खीरे की कई उन्नत किस्में हैं, जो अलग-अलग शर्तों में उगाई जाती हैं। कुछ उन्नत खीरे की किस्में निम्नलिखित हैं:
हिमांशु (Himanshu)
पूजा (Pooja)
सुमीत (Sumit)
अर्जुन (Arjun)
गोल्डन (Golden)
किरण (Kiran)
वार्षिक (Varshik)
इनमें से कुछ किस्में अधिक उत्पादक होती हैं और कुछ अधिक रोग प्रतिरोधी होती हैं। इसलिए किसानों को अपने क्षेत्र में उगाने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।
विदेशी खीरे की उन्नत किस्में
हाइब्रिड लाइट ग्रीन
हाइब्रिड वाईट ग्रीन
स्वर्ण अगेती
स्वर्ण पूर्णिमा
पूसा उदय
पूना खीरा
पंजाब सलेक्शन
पूसा संयोग
विनायक हाइब्रिड
पूसा बरखा
खीरा 90
कल्यानपुर हरा खीरा
कल्यानपुर मध्यम
खीरा 75 जापानी लौंग ग्रीन
चयन
स्ट्रेट- 8
पोइनसेट
आदि प्रमुख है |
विदेशी किस्मों की बात की जाए तो भारत में चाइनीज खीरे की खेती काफी कम की जाती है।
खीरे की फसल के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु?
जब भी आपकी खीरे की फसल पर फूल आता है उस समय तापमान अगर 13 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच हो तो यह है फसल के लिए काफी अच्छा माना जाता है और इसके बाद फूलों से जब खीरे बनते हैं तो 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह अच्छा उत्पादन लेता है।
खीरे की फसल के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी?
खीरे की फसल के लिए अगर मिट्टी की बात की जाए तो जीवाश्म युक्त चिकनी मिट्टी, बलुई मिट्टी, काली मिट्टी और पीली मिट्टी इसके लिए एकदम उपयुक्त होती है। इसके अलावा अगर आप खीरे की खेती ऐसी जगह पर कर रहे हैं जहां पर अधिक बरसात होती है तो ऐसी भूमि का चुनाव करें जहां पर बारिश का पानी खड़ा ना होता हो।
प्रति एकड़ के हिसाब से क्या रहेगी बीज की लागत?
खीरे की फसल की बुवाई करते हुए किसान सीधा बीज के माध्यम से भी है खेती कर सकते हैं या फिर नर्सरी से तैयार बौद्ध के साथी हैं खेत में लगा सकते हैं। अगर आप बीज से बुवाई करते हैं तो तीन से चार सीट के अंतर पर तीन से चार बीज एक साथ एक जगह पर लगाएं।
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खीरे की आधुनिक खेती मे बीज की मात्रा 1 एकड़ में 1 किलो ग्राम तक लगती है | हाइब्रिड खीरा के बीज की लागत प्रति एकड़ 500 से 600 ग्राम प्रति एकड़ आवश्यकता पड़ती है |
क्या है खीरे के उत्पादन की आधुनिक खेती विधि ?
खीरे की खेती करने के लिए देश में अलग-अलग क्षेत्र और सुविधा के अनुसार अलग-अलग तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। देश में आधुनिक विधियों से भी खीरे की खेती हो रही है। खीरे की खेती करने की कुछ विधि है
माचान विधि
बांस मंडप विधि
मल्चिंग विधि
समतल खेत विधि
खीरे की खेती में सिंचाई ?
खीरे की खेती में सिंचाई एक अहम् भूमिका निभाती है। खीरे पौधों को नियमित तौर पर पानी की आवश्यकता होती है ताकि उनके विकास में कोई बाधा न हो। इसके लिए सिंचाई का उपयोग किया जाता है। सिंचाई के लिए नलकूप, कुआं, नहर, तालाब आदि स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है। बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई एक अत्यंत महत्वपूर्ण तरीका होता है खीरे की उत्पादन बढ़ाने के लिए। सिंचाई के लिए निर्धारित समय और मात्रा पर ध्यान देना चाहिए।
खीरे की फसल से उत्पादन
खीरे की उचित देखभाल और सही मात्रा में सिंचाई करने पर एक एकड़ में 15 टन तक उत्पादन हो सकता है। यह उत्पादन भूमि की गुणवत्ता, उपयुक्त जलवायु, खेती की तकनीक, खाद आदि पर भी निर्भर करता है।
देशी खीरे की औसत उपज 60 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा हाइब्रिड खीरे की औसत उपज 130-220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है |
खीरे की खेती से कमाई –
खीरे की खेती से कमाई उन्नत खेती के साथ संभव होती है। खीरे की खेती से कमाई का मुख्य स्रोत उत्पाद की बिक्री होती है।
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खीरे की खेती से प्रति एकड़ लाभ मिल सकता है जो कि ताजा बाजार में विभिन्न शहरों और नगरों में बेचे जाने वाले खीरों की मूल्य निर्धारण पर निर्भर करता है।
इसके अलावा, खीरों से निर्मित उत्पादों के लिए भी बाजार होता है, जैसे कि आचार, मरीनेटेड खीरे, सलाद आदि। इन उत्पादों की बिक्री से भी अच्छी कमाई होती है।
खीरे की खेती से कमाई को बढ़ाने के लिए खेती में उत्पादकता और उत्पाद गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, खीरे की खेती से कमाई को बढ़ाने के लिए अच्छी बीज उपलब्ध कराना, उत्तम सिंचाई व्यवस्था सुनिश्चित करना, उत्तम खाद उपलब्ध कराना और रोग-रोधक तथा कीटनाशक उपयोग करना अत्यंत आवश्यक होता है।
खीरे की फसल में लगने वाले कुछ लोग
खीरे में लगने वाले कुछ रोगों के नाम हैं:
वाइरस मॉसेइक
अधिक पानी से पौधे की वृद्धि और पत्तों का सूखा जाना
पानी का अभाव या कमी से होने वाली रोग
फसल के तने में सूखापन
पत्तों का पिलापन और मुरझाना
खीरे के दलों पर सफेद पदार्थ जमा हो जाना (मिल्यू बगैरा)
खीरे के पत्तों पर लाल रंग के दाग होना (अँगुलर स्पॉट)
खीरे की फसल के लिए नाइट्रोजन उर्वरक सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस तरह से इन सब बातों का ध्यान रखते हुए आप खीरे की फसल से मुनाफा कमा सकते हैं।